झारखंड की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल का विवादों से पुराना नाता है। ईडी की रेड के बाद भ्रष्टाचार के आरोप उन पर पहली बार नहीं लगे हैं। वह जहां तैनात रहीं विवाद उनसे जुड़े रहे।
पूजा सिंघल की कहानी अर्श से फर्श तक पहुंचने की है। महज 21 साल की उम्र में अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाली पूजा का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है। परिवार, साथी और दोस्त उन पर गर्व करते थे, लेकिन एक के बाद एक विवाद ने पूजा सिंघल को अर्श से फर्श तक पहुंचा दिया। अब वह ईडी के रडार पर हैं और भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही हैं।
आईएएस बनने के बाद पूजा सिंघल की पहली तैनाती झारखंड के हजारीबाग में हुई। इसके बाद 2009 में वह खूंटी जिले में तैनात रहीं। 16 फरवरी, 2009 से 14 जुलाई, 2010 की अवधि के दौरान उन पर मनरेगा फंड से 18 करोड़ की हेराफेरी के आरोप लगे। वहीं भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हुए जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा का संरक्षण प्रदान करन का आरोप भी सिंघल पर रहा। चतरा में डिप्टी कमिश्नर रहते हुए छह करोड़ रुपये के मनरेगा फंड में हेराफेरी में उनका नाम सामने आया।
पूजा सिंघल के सभी राजनैतिक पार्टियों और स्थानीय नेताओं से अच्छे संबंध थे। उन पर नेताओं की मेहरबानी भी काफी विवादित रही है। सरकार किसी की भी रही हो पूजा सिंघल हमेशा उच्च पदों पर तैनात रहीं। फिर चाहें भारतीय जनता पार्टी की अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली सरकार हो या रघुबर दास वाली। पूर्व सीएम रघुबर दास की सरकार में वह कृषि विभाग की सचिव थीं। वहीं हेमंत सोरेन सरकार में भी उन्हें खदान, उद्योग, जेएसएमडीसी अध्यक्ष जैसे विभागों की जिम्मेदारी मिली।
झारखंड की खनन सचिव पूजा सिंघल को प्रवर्तन निदेशालय ने एक बार फिर से तलब किया है। उन्हें मनरेगा फंड के कथित गबन और अन्य आरोपों से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में आज रांची में पूछताछ के लिए तलब किया है। कल सिंघल से करीब 9 घंटे तक पूछताछ की गई थी।