रायपुर: भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ रहे सैन्य तनाव का असर अब छत्तीसगढ़ पर भी नजर आने लगा है। बीजापुर-तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ी में पिछले 18 दिनों से चल रहा राज्य का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी ऑपरेशन फिलहाल अस्थाई रूप से रोक दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, सुरक्षा कारणों और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
हजारों जवानों की तैनाती थी
कर्रेगुट्टा क्षेत्र में बीते करीब तीन सप्ताह से सीआरपीएफ, डीआरजी और अन्य सुरक्षाबलों द्वारा एक संयुक्त अभियान चलाया जा रहा था। यह ऑपरेशन नक्सलियों के गढ़ में दबाव बनाने और उनके नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में एक बड़ी कार्रवाई मानी जा रही थी।
भारत-पाकिस्तान तनाव ने बदली रणनीति
सूत्रों के अनुसार, भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात बनते देख कर राष्ट्रीय स्तर पर रणनीति में बदलाव किया गया है। कर्रेगुट्टा ऑपरेशन में लगे सुरक्षाबलों को अब जिला मुख्यालय में लौटने का आदेश दिया गया है। कई जवान वापस लौटने की तैयारी में हैं।
आधिकारिक पुष्टि नहीं, पर आंतरिक हलचल तेज
हालांकि अभी तक इस ऑपरेशन को रोकने को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन आंतरिक सूत्रों की मानें तो CRPF और अन्य बलों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह भी कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा की व्यापक जरूरतों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
क्या है कर्रेगुट्टा पहाड़ी का महत्व?
बीजापुर और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ी क्षेत्र को नक्सलियों का मजबूत गढ़ माना जाता है। इस इलाके में कई वर्षों से सुरक्षा बलों की पहुंच बेहद सीमित रही है। हालिया ऑपरेशन को “गहराई तक पहुंची पहली बड़ी कार्रवाई” के रूप में देखा जा रहा था।