ज्येष्ठ मास का पहला बड़ा मंगलवार आज, हनुमानजी के वृद्ध स्वरूप की होती है विशेष पूजा

आज ज्येष्ठ मास का पहला मंगलवार है, जिसे ‘बड़ा मंगल’ या ‘बुढ़वा मंगल’ के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और मध्य भागों में यह पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है।

ज्येष्ठ मास की शुरुआत सूर्य के वृष राशि में प्रवेश के साथ होती है। ‘ज्येष्ठ’ का अर्थ होता है ‘बड़ा’, और इस मास में दिन भी सबसे बड़े होते हैं। ज्येष्ठ मास का स्वामी मंगल ग्रह होता है, जो अग्निकारक माने जाते हैं, इस कारण इस माह में तीव्र गर्मी पड़ती है और जल का विशेष महत्व होता है।

इस महीने में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे जल से जुड़े पर्व भी मनाए जाते हैं, जिन पर पानी से भरा घड़ा, पंखा, छाता और जूते-चप्पल दान करने की परंपरा है।

पौराणिक कथाओं से जुड़ी है ‘बड़ा मंगल’ की मान्यता
बड़ा मंगल से जुड़ी दो प्रमुख पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। पहली कथा के अनुसार, ज्येष्ठ मास के मंगलवार को भगवान राम की हनुमान से पहली भेंट हुई थी, जब वे सीता माता की खोज में वन-वन भटक रहे थे। इसलिए इस महीने के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है।

दूसरी कथा महाभारत काल से जुड़ी है, जिसमें कहा गया है कि ज्येष्ठ के मंगलवार को हनुमानजी ने बूढ़े वानर का रूप धारण कर पांडवों में से भीम के बल के अभिमान को तोड़ा था। तभी से इसे ‘बुढ़वा मंगल’ के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन हनुमानजी के वृद्ध स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है।

चोला चढ़ाने और प्रसाद वितरण की परंपरा
इस दिन हनुमान मंदिरों में विशेष सजावट होती है, भक्तों द्वारा हनुमानजी को सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है और भंडारे का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन चोला चढ़ाने और प्रसाद वितरण करने से जीवन की हर बाधा दूर होती है और हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

बड़ा मंगल का पर्व खासतौर पर लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज और गोरखपुर जैसे शहरों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जगह-जगह हनुमान मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी हुई हैं और भक्तों में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है।

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