रायपुर, 28 जून 2022/राज्य के रायगढ़, केशकाल तथा मरवाही जिला यूनियनों में चालू वर्ष के दौरान अब तक लक्ष्य के दोगुना से भी अधिक 815.31 क्विंटल जामुन का संग्रहण हो चुका है। तीनों जिला यूनियनों में चालू वर्ष में 350 क्विंटल जामुन फल के संग्रहण का लक्ष्य निर्धारित था। तीनों यूनियनों ने संग्रहित 815 क्विंटल जामुन फल से लगभग 60 हजार लीटर जामुन जूस का उत्पादन होगा।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वनमंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्ग दर्शन में राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा जामुन फल संग्रहण कर उसका मूल्य वर्धन तथा प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्ययोजना के तहत कार्य किया जा रहा है। राज्य के तीन जिला यूनियनों केशकाल, रायगढ़ एवं मरवाही में जामुन का उत्पादन काफी मात्रा में होता है। इस हेतु छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा उपरोक्त तीनों जिला यूनियनों के अंतर्गत लगभग 250 क्विंटल जामुन फल संग्रहण का लक्ष्य दिया गया था। इनमें जिला यूनियन रायगढ़ द्वारा 597.91 क्विंटल, जिला यूनियन केशकाल द्वारा 76.96 क्विंटल एवं जिला यूनियन मरवाही द्वारा 140.44 क्विंटल जामुन फल का संग्रहण गिया गया है।
प्रबंध संचालक राज्य लघुवनोपज संघ श्री संजय शुक्ला ने बताया कि रायगढ़ जिला यूनियन के अंतर्गत संग्रहित जामुन में से 250 क्विंटल जामुन को सीजीसीइआरटी रायपुर द्वारा जैविक प्रमाणीकरण प्रदान किया गया। संग्रहित जामुन को रायपुर इंडस मेगा फूड पार्क के माध्यम से पल्पिंग कार्य कराया जा रहा है। प्राप्त पल्प से जामुन जूस एवं जामुन आधारित अन्य उत्पादों का निर्माण वनधन विकास केन्द्र बरौंडा के महिला स्व सहायता समूहों द्वारा किया जावेगा। संग्रहित जामुन फल मात्रा 815.31 क्विंटल से लगभग 60 हजार लीटर जामुन जूस का उत्पादन होगा। ‘‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स’’ जामुन जूस की राज्य में काफी मांग है। जामुन जूस मुख्यतः मधुमेह रोगी के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा जामुन जूस में कैल्शियम एवं मैग्नीशियम भी पाया जाता है।
जामुन फल से जामुन जूस निर्माण के पश्चात प्राप्त बीज से विभिन्न प्रकार के औषधि जैसे- जामुन चूर्ण, मधुमेह नाशक चूर्ण इत्यादि का निर्माण किया जाता है, जो कि डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत ही कारगर औषधि होता है। जामुन फल संग्रहण से जामुन पल्प आधारित खाद्य उत्पाद तथा बीज आधारित औषधि उत्पाद के निर्माण से संग्राहकों को एवं प्रसंस्करण से जुड़े महिला स्व सहायता समूहों को अधिक से अधिक लाभ मिलने लगा है।