एक कैंसर ऐसा भी है, जो बहुत कम लोगों को प्रभावित करता है। हालांकि ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है और इसका पता बहुत बाद में चलता है। इस कैंसर को सारकोमा कैंसर के नाम से जाना जाता है। यह कैंसर मुख्य तौर पर हड्डियों और सॉफ्ट टिशू में होता है। जिसके अधिकतर मामले एडवांस स्टेज पर ही रिपोर्ट होते हैं। जिसकी वजह से इलाज में काफी परेशानी होती है।
क्या है सारकोमा कैंसर-
डॉ शुभम गर्ग (IOSPL), (सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल, नोएडा) की मानें तो सारकोमा कैंसर ऐसे कैंसर को कहते हैं जो शरीर के कनेक्टिविटी टिश्यू में पनपता है। हमारा शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर बनता है लेकिन हमारे शरीर में मौजूद कनेक्टिव टिश्यू जैसे कि हडि्डयां और मांसपेशियां ,जो इस पूरे ढांचे को एक ढांचे में बांधते हैं। इन कनेक्टिव टिश्यू को प्रभावित करने वाला कैंसर ही सारकोमा कैंसर कहलाता है।
सारकोमा कैंसर को भुला दिया कैंसर कहते है-
सारकोमा काफी दुलर्भ किस्म का कैंसर होता है। इनकी आशंका सभी प्रकार के कैंसर में सिर्फ 1% है और यही वजह है कि इसे ऐसा कैंसर कहा जाता है जिसे अक्सर भुला दिया गया होता है। इस विषय में शोध भी कम किए गए हैं जबकि इस बारे में सवालों के जवाब देने के लिए और अध्ययन की आवश्यकता है।
सारकोमा के लक्षण-
-शरीर के किसी हिस्से में गांठ होना, जो लगातार बढ़ती रहे।
-बिना वजह मांसपेशियों में दर्द
-हाथ-पैरों में लगातार दर्द
सारकोमा का पता लगाना क्यों होता है मुश्किल-
सारकोमा शरीर में गहराई में छिपी संरचनाओ जैसे कि मांसपेशियों तथा हडि्डयों में पनपता है। इसी कारण आरंभिक चरणों में इसे पकड़ना मुश्किल होता है। जब तक इनका पता चलता है, तब तक ये आकार में काफी बढ़ चुके होते हैं या काफी एडवांस स्टेज में पहुंच जाते हैं।
किन लोगों को होता है सारकोमा कैंसर का खतरा ज्यादा-
सभी तरह के कैंसरों में सारकोमा के होने की आशंका एक फीसदी से भी कम होती है और इस बीमारी के होने का कोई कारण भी निश्चित नहीं है। हालांकि, कुछ ऐसी वजहें जरूर हैं, जिनसे खतरा बढ़ जाता है। इनमें रेडिएशन थेरेपी, एचआईवी से पीड़ित लोग, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी (Immune deficiency) के साथ पैदा हुए लोग और ऐसे लोग जो ऑर्गन ट्रांसप्लांट, जेनेटिक विषमता (abnormality) और केमिकल एक्सपोजर की वजह से इम्यून सिस्टम सुधारने के लिए दवाओं का इस्तेमाल करते हैं आदि शामिल हैं।
सारकोमा कैंसर का उपचार-
यदि समय पर सारकोमा के प्रकार का पता चल जाए तो इलाज मुमकिन है। ऐसे में उपयुक्त सर्जरी और ऑपरेशन के बाद रेडिएशन तथा कीमोथेरेपी ऐसे अधिकांश ट्यूमर्स का उपचार है।