राजस्थान- कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर राजस्थान की राजनीति में शुरू हुई हलचल तूफान बन चुकी है। गहलोत के अध्यक्ष पद की दावेदारी के बीच सचिन पायलट को राजस्थान की गद्दी सौंपने के आलाकमान के फैसले के खिलाफ गहलोत गुट ने बगावती तेवर दिखा दिए हैं। पायलट को छोड़कर कोई भी चलेगा, डिमांड रखते हुए गहलोत कैंप के 80 से अधिक विधायकों ने रविवार रात अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या राजस्थान में गहलोत अपनी ही सरकार गिराने जा रहे हैं?
गहलोत सरकार के मंत्री और सीएम के करीबी प्रताप खाचरियावास ने 92 विधायकों के इस्तीफे के बात कही। उन्होंने कहा कि आलाकमान ने विधायकों की राय के बिना अपना फैसला सुनाने का फैसला किया है, जो ठीक नहीं है। उन्हें एक लाइन का यह प्रस्ताव पास करने को कहा गया था कि मुख्यमंत्री का फैसला आलाकमान करेगा। हालांकि, जब उनसे यह सवाल किया गया कि क्या सरकार गिरने वाली है तो उन्होंने इस बात से इनकार किया। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे नहीं गिर जाती है।
खाचरियावास की इस बात में गहलोत कैंप का गेमप्लान छिपा हुआ है। दरअसल, गहलोत अपनी सरकार नहीं गिराना चाहते हैं, बल्कि वह कांग्रेस आलाकमान पर इस बात का दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि राजस्थान का फैसला उनकी सहमित के आधार पर ही हो। वह चाहते हैं कि 2020 में बगावती तेवर दिखा चुके पायलट और उनके करीबी विधायकों को छोड़कर अन्य किसी को सत्ता दी जाए, जिनमें स्पीकर सीपी जोशी सबसे आगे हैं। गहलोत गुट के सभी विधायकों ने स्पीकर को इस्तीफा जरूर सौंपा है, लेकिन उनकी सदस्यता तब तक खत्म नहीं होती, जब तक स्पीकर इन्हें मंजूर नहीं कर लेते। स्पीकर अभी इस्तीफों पर कोई फैसला नहीं करने जा रहे हैं।