अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह की गुजरात के मुंद्रा में स्थित तांबा फैक्ट्री अगले साल मार्च से परिचालन शुरू करेगी। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इससे आयात पर भारत की निर्भरता कम करने और ऊर्जा बदलाव में मदद मिलेगी तांबे को ‘विद्युतीकरण की धातु’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि गहरे विद्युतीकरण के लिए तारों की जरूरत होती है। ये तार आमतौर पर तांबे से बने होते हैं।
ऊर्जा बदलाव की महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), चार्जिंग अवसंरचना, सौर फोटोवोल्टिक (पीवी), पवन ऊर्जा और बैटरी में तांबे की जरूरत होती है। समूह की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) की सब्सिडियरी कच्छ कॉपर लिमिटेड (केसीएल) दो चरणों में प्रति वर्ष 10 लाख टन परिष्कृत तांबे के उत्पादन के लिए एक तांबा रिफाइनरी परियोजना स्थापित कर रही है।
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि केसीएल ने चरण-1 में पांच लाख टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता के लिए वित्तपोषण हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि पहला चरण वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक चालू होने की उम्मीद है। कुछ दिन पहले अडाणी ने भी कंपनी की सालाना आमसभा में कहा था कि यह परियोजना अपने तय समय के अनुसार चल रही है।