कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा के आंदोलन के बाद एसईसीएल को चंद्रिका बाई कंवर नामक की एक आदिवासी महिला को जनरल मजदूर प्रशिक्षु के पद पर नियुक्ति देने के लिए मजबूर होना पड़ा है। 6 माह के प्रशिक्षण के बाद उसे जनरल मजदूर कैटेगरी-1 के पद पर नियमित किया जाएगा।
किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर तथा सचिव प्रशांत झा का आरोप है कि एसईसीएल में अनुकंपा नियुक्ति के लगभग 200 प्रकरण लंबित हैं। पीड़ितों को अनुकंपा नियुक्ति नौकरी देने में जानबूझकर देरी की जा रही है और इन पीड़ितों में अधिकांश आदिवासी और महिलाएं हैं। एसईसीएल के इस रवैये को किसान सभा ने आदिवासी और महिला विरोधी करार दिया है। किसान सभा नेताओं का कहना है कि राष्ट्रीय कोयला मजदूर वेतन समझौता-10 के अनुसार पीड़ितों का अनुकंपा नियुक्ति पर हक़ बनता है।
उल्लेखनीय है कि ग्राम अमगांव, हरदीबाजार की चंद्रिका बाई कंवर नाम की एक आदिवासी महिला पिछले दो साल से अनुकंपा नियुक्ति के लिए एसईसीएल का चक्कर काट रही थी। गेवरा खदान विस्तार में उनकी कृषि भूमि अधिग्रहित होने के बाद उसके पति बेचू सिंह को नौकरी मिली थी। उसके पति की दो वर्ष पूर्व सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। इस प्रकरण के सामने आते ही किसान सभा कार्यकर्ता गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। चंद्रिका बाई के परिवार सहित तीन और परिवार भी इस हड़ताल में शामिल थे। दिन भर चली भूख हड़ताल एसईसीएल के आश्वासन के बाद ही समाप्त हुई थी। चन्द्रिका बाई के नियुक्ति पत्र लेते समय किसान सभा के जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू,जय कौशिक, दामोदर, बृजपाल के साथ सीटू नेता जनाराम कर्ष उपस्थित थे।
चंद्रिका बाई के नियुक्ति पत्र को मीडिया के लिए जारी करते हुए किसान सभा नेताओं ने कहा कि चंद्रिका बाई प्रकरण में मिली जीत से पीड़ितों का संघर्ष करने के लिये हौसला बढ़ा है। किसान सभा ने अनुकंपा नियुक्ति के सभी लंबित प्रकरणों पर आंदोलन करने की घोषणा की है और सभी पीड़ितों से एकजुट होने की अपील की है। किसान सभा ने आंदोलन में शामिल पीड़ितों धीरजा बाई, अनिल कुमार और अजीत सिंह को भी शीघ्र ही अनुकंपा नियुक्ति देने की एसईसीएल से मांग की है।