चैत्र मास की नवमी तिथि आज है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से रोग, भय और शोक से छुटकारा मिलता है और मां की कृपा से व्यक्ति सिद्धियां प्राप्त कर सकता है। नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ हवन करने की परंपरा है। आइए जानते हैं मां सिद्धिदात्री का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और भोग के बारे में।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
देवी भागवत पुराण के मुताबिक, मां सिद्धिदात्री मां लक्ष्मी की तरह की कमल में विराजमान हैं। मां के चार भुजाएं है जिनमें वह गदा, शंख, चक्र और कमल का फूल लिए रहती हैं।
मां सिद्धिदात्री की सिद्धियां
शास्त्रों के मुताबिक मां सिद्धिदात्री के पास आठ सिद्धियां है जो निम्न है- अणिमा, ईशित्व, वशित्व, लघिमा, गरिमा, प्राकाम्य, महिमा और प्राप्ति। माना जाता है कि हर देवी-देवता को मां सिद्धिदात्री से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी। इसलिए कहते हैं आज के दिन मां की विधि-विधान करना शुभ साबित हो सकता है।
नवमी तिथि का प्रारंभ- 10 अप्रैल देर रात 01 बजकर 32 मिनट से शुरू
नवमी तिथि समाप्त- 11 अप्रैल सुबह 03 बजकर 15 मिनट तक
ऐसे करें सिद्धिदात्री की पूजा विधि
नवरात्रि की नवमी को मां दुर्गा की विधिवत तरीके से विदाई की जाती है। मां सिद्धिदात्री को फूल, माला, सिंदूर, फल, गंध आदि अर्पित करें। इसके साथ ही तिल और इससे बनी चीजों का भोग लगाएं। इसके अलावा आप चाहे तो खीर, हलवा, मालपुआ, केला, नारियल आदि चीजें भी अर्पित कर दें। इसके बाद जल दें। फिर दीपक, धूप जलाकर मां की आरती कर लें।