बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) और यूको बैंक सहित पांच बैंकों में सरकार हिस्सेदारी बेचेगी। दरअसल, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) मानदंडों के तहत केंद्र की सरकार इन बैंकों में हिस्सेदारी को घटाकर 75 प्रतिशत से नीचे लाने की योजना बना रही है।
सार्वजनिक क्षेत्र के कुल 12 बैंकों (पीएसबी) में से चार 31 मार्च, 2023 तक सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों का पालन कर चुके हैं।
किस बैंक में कितनी हिस्सेदारी
फिलहाल दिल्ली स्थित पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 98.25 प्रतिशत है। चेन्नई के इंडियन ओवरसीज बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 96.38 प्रतिशत, यूको बैंक में 95.39 प्रतिशत, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 प्रतिशत, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 86.46 प्रतिशत है।
वित्तीय सेवा सचिव ने क्या कहा
वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने कहा- चालू वित्त वर्ष में तीन और पीएसबी ने न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता का अनुपालन पूरा कर लिया है। शेष पांच सरकारी बैंकों ने एमपीएस मानदंडों को पूरा करने के लिए कार्ययोजना बनाई हैं। जोशी ने कहा कि बैंकों के पास हिस्सेदारी कम करने के लिए कई विकल्प हैं, जिनमें अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) या पात्र संस्थागत नियोजन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की स्थिति के आधार पर इनमें से प्रत्येक बैंक शेयरधारकों के सर्वोत्तम हित में निर्णय लेगा। बिना कोई समयसीमा बताए उन्होंने कहा कि इस अनिवार्यता को पूरा करने के प्रयास जारी हैं।
बता दें कि सेबी के अनुसार सभी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों का अनुपालन जरूरी है। हालांकि, नियामक ने सरकारी बैंकों को विशेष छूट दी है। उनके पास 25 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता के नियम को पूरा करने के लिए अगस्त, 2024 तक का समय है।
गोल्ड लोन पोर्टफोलियो की समीक्षा
वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने सभी सरकारी बैंक को अपने गोल्ड लोन पोर्टफोलियो की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है क्योंकि सरकार के समक्ष नियामकीय मानदंडों का अनुपालन न करने के मामले आए हैं। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को पत्र लिखकर उनसे गोल्ड लोन से संबंधित अपनी प्रणाली और प्रक्रियाओं पर गौर करने को कहा है।