प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली दो सरकारों में भी एनडीए सहयोगियों को तरजीह दी गई थी। लेकिन तब मंत्रियों की संख्या पांच या इससे नीचे रही। लेकिन इस बार भाजपा को स्पष्ट बहमुत नहीं है। ऐसे कयास हैं कि नई गठित होने वाली एनडीए सरकार में मंत्रियों की संख्या 16-18 के बीच हो सकती है। हालांकि, सही आंकड़ा कैबिनेट के शपथ लेने के बाद ही सामने आएगा।
सूत्रों के अनुसार, इस बार कैबिनेट में भाजपा के अलावा छोटे-बड़े करीब एक दर्जन से भी अधिक दलों को प्रतिनिधित्व देना पड़ सकता है। दो सबसे बड़े दलों में तेदेपा और जदयू हैं। तेदेपा के पास 16 तथा जदयू के पास 12 सांसद हैं। इन्हें चार पर एक के फार्मूले में कैबिनेट पद देने की बात चल रही है। ऐसे में तेदेपा को चार और जदयू को तीन मंत्री पद मिलने तय हैं। खबर है कि तेदेपा ने स्वास्थ्य, शिक्षा तथा ग्रामीण विकास जैसे जनता से जुड़े मंत्रालयों पर अपना दावा किया है। इसी प्रकार जदयू की तरफ से भी महत्वपूर्ण मंत्रालयों की मांग की जा सकती है।
तीसरे बड़े दल शिवसेना (शिंदे) है जिसके सात सांसद हैं। उसे एक कैबिनेट तथा एक राज्य मंत्री पद दिया जा सकता है। यही फार्मूला पांच सीटों वाली एलजेसी पासवान के लिए भी लागू करना होगा। यानी उसे भी कम से कम एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का पद देना होगा। इसके अलावा बिहार से हम की एक सीट है जिसके प्रमुख जीतनराम मांझी को कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है।
तीन दल जन सेना, आरएलडी तथा जेडीएस ऐसे हैं जिनके पास दो-दो सीटें हैं। इन्हें भी एक-एक राज्यमंत्री पद देना पड़ सकता है। हालांकि, आरएलडी को भाजपा चुनाव से पहले ही राज्यसभा सीट दे चुकी है। ऐसे में अभी आरएलडी मंत्री नहीं बनाया जा सकता है।